परंपरागत रूप से की जाने वाली खेती में अनेक रासायनिक उर्वरको तथा कीटनाशकों आदि का उपयोग किया जाता है। शुरू में तो खेती में रासायनिक उर्वरको, खाद के उपयोग पर इसलिए बढावा दिया गया था कि फसल की पैदावार को बढाकर पूरे देश में अन्न की माँग की आपूर्ति की जा सके। परंतु अब धीरे – 2 इनके दुष्प्रभावों को देखते हुए सरकार जैविक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। पारंपरिक रूप से उगाए गए अन्न का न केवल मनुष्य की सेहत पर परंतु पर्यावरण पर भी गलत प्रभाव देखने को मिल रहे है। साथ-2 मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी इससे बहुत प्रभावित हुई है। जैविक खेती के प्रयोग को बढावा देने के लिए सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरूआत वर्ष 2015 में की थी। अब भी सरकार इस योजना के तहत किसानों को आर्थिक मदद देकर इसके अंतर्गत काम कर रही है। योजना के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए आगे भी ऐसे हमारे साथ बने रहे।
परंपरागत कृषि विकास योजना
परंपरागत कृषि विकास योजना मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढाने के लक्ष्य से शुरू की गी थी। इसके माध्यम से किसानों को जैविक खेती करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। पारंपरिक खेती की तुलना में जैविक खेती सेहत के लिए लाभकारी होती है क्योंकि इसमें कम कीटनाशकों का उपयोग होता है। इसके अलावा जैविक खेती भूजल और सतह के पानी में नाइट्रेट की लीचिंग को भी कम करती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। योजना के तहत सरकार क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, आवेदनो के लिए प्रोत्साहन, मूल्यवर्धन और विपरण के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है। सरकार ₹50000 प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष की के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है इसमें से ₹31000 प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष जैविक पदार्थों जैसे कि जैविक उर्वरकों, कीटनाशकों, बीजों आदि की खरीद के लिए प्रदान किया जाता है। इसके अलावा मूल्यवर्धन और विपरण के लिए ₹8800 और क्लस्टर निर्माण एवं क्षमता निर्माण के लिए ₹3000 प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए दिया जाता है।
योजना का नाम | परंपरागत कृषि विकास योजना |
योजना किनके द्वारा आरम्भ की गई | केन्द्र सरकार द्वारा |
लाभार्थी | देश के किसान |
योजना में पंजीकरण प्रक्रिया | ऑनलाइन माध्यम द्वारा |
मुख्य उद्देश्य | जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना तथा मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढाना |
मुख्य लाभ | फसल की गुणवत्ता में वृद्धि होगी तथा किसान को सरकार द्वारा सहयोग मिल सकेगा। जैविक खेती के नये-2 तरीके इजात किये जायेंगे। |
प्रोत्साहन धनराशि | ₹50000 |
योजना श्रेणी | केन्द्र सरकार योजनाएं |
आधिकारिक वेबसाइट | darpg.gov.in |
योजना के लिए आवेदन –
आवेदक को इसकी official website पर जाकर अपना पंजीकरण करवाना है। इसके बाद Application की verification के बाद ही योजना का लाभ मिलेगा।