सरकार देश के किसानों को खेती के लिए रासायनिक उर्वरकों के उपयोग करने पर सब्सिडी प्रदान करता है। परंतु इस के कारण अब सरकार पर प्रतिवर्ष सब्सिडी का बोझ बढता जा रहा है। इसके समाधान के लिए सरकार ने अब किसानों से अपील की है कि वे रासायनिक उर्वरकों के यूज को खेती में कम करें और इसके अन्य विकल्प प्रयोग में लाए जैसे जैविक खाद आदि। हालाँकि एकदम ये परिवर्तन ला पाना इतना सरल नहीं होगा फिर भी सबके सहयोग से इसे संभव किया जा सकता है। इस सारी योजना को नाम दिया गया है प्रधानमंत्री प्रणाम स्कीम। योजना के तहत राज्य सरकारों को भी शामिल किया गया है और उनसे ये अपील की गई है कि वे वैकल्पिक उर्वरकों के प्रयोग पर जोर दे। साथ ही अगर देखा जाये तो स्वास्थ्य की दृष्टि से भी रासायनिक उर्वरक अच्छा विकल्प नहीं है। योजना के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए अंत तक पूरा आर्टिकल पढें।
प्रधानमंत्री प्रणाम स्कीम
प्रधानमंत्री प्रणाम स्कीम केंद्र सरकार और देश के किसान दोनो के लिए ही लाभदायक सिद्ध होगी। इसके तहत सरकार पर जो रासायनिक उर्वरकों के सब्सिडी के बोझ बढता जा रहा था उसे कम करने में मदद मिलेगी और साथ में किसान भी रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम कर उच्च गुणवत्ता की फसल उगा सकेंगे। साथ ही जमीन की ऊपजाउ क्षमता भी बरकरार रह सकेगी। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को गांव, ब्लॉक, जिला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरकों और वैकल्पिक उर्वरक उत्पादन इकाइयों को तकनीकी संबंधित संपत्ति निर्माण के लिए अनुदान देने का भी फैसले लिया है। ये अनुदान उर्वरक विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत से पूरा किया जाएगा।
योजना का नाम | प्रधानमंत्री प्रणाम स्कीम |
योजना किनके द्वारा आरम्भ की गई | केंद्र सरकार द्वारा |
लाभार्थी | केंद्र सरकार और देश के किसान |
योजना में पंजीकरण प्रक्रिया | ऑफलाइन माध्यम द्वारा |
मुख्य उद्देश्य | केंद्र सरकार के ऊपर बढ़ते हुए रासायनिक उर्वरकों के सब्सिडी के बोझ को कम करना |
मुख्य लाभ | खेती में रासायनिक उर्वरकों का बहुत अधिक मात्रा में उपयोग पर कुछ रोक लग सकेगी और फसल स्वच्छ व शुद्ध, कैमिकल फ्री उग सकेगी जिससे बीमारियों में भी कुछ कमी आ सकेगी. |
योजना कब शुरू की गई | वर्ष 2022 में |
योजना श्रेणी | केंद्र सरकार योजनाएं |
आधिकारिक वेबसाइट | अभी उपलब्ध नहीं |
योजना के अंतर्गत किए गए अहम फैसले –
- सरकार ने मौजूदा उर्वरक सब्सिडी बचत का 50% राज्य सरकारों को अनुदान के रूप में देने का निर्णय लिया है।
- अनुदान का 70 फीसदी राज्य सरकार द्वारा गांव, ब्लॉक, और जिला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरक उत्पादन इकाइयों को तकनीक अपनाने और वैकल्पिक रूप से संपत्ति निर्माण के लिए उपयोग किया जाएगा।
- बचे हुए 30 फीसदी अनुदान को राज्य सरकार उन किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूह को पुरस्कार देने एवं प्रोत्साहित करने के लिए करेंगी जो उर्वरक के इस्तेमाल में कमी और जागरूकता पैदा करने के कार्य में शामिल होंगे।